पिता बनाना चाहते थे डॉक्टर पर बेटा बन गया क्रिकेटर, चोट के बाद भी नहीं बदला अपना इरादा।

पिता बनाना चाहते थे डॉक्टर पर बेटा बन गया क्रिकेटर, चोट के बाद भी नहीं बदला अपना इरादा।

मेरठ के एक छोटे से गांव से आने वाले शिवम् मवि 3 जनवरी 2023 की तारीख कभी नहीं भूल पाएंगे। अर्शदीप सिंह को बुखार होने की बजह से पंड्या ने उन्हें डेब्यू का मौका दिया। जिसे मवि ने इतनी अच्छी तरह से भुनाया की इतना यादगार डेब्यू शायद ही बड़े बड़े गेंदबाज़ कभी न कर पाएं। लेकिन शिवं मवि के लिए यहाँ तक पहुँचाना इतना भी आसान नहीं था।

पिता शिवम् को डॉक्टर बनाना चाहते थे। लेकिन इनकी रूचि क्रिकटर बनने की थी। इसलिए पिता ने इन्हे खेलने दिया। अंडर 14 में पिता ने इन्हे भेजा तो इनका सिलेक्शन ही नहीं हुआ। इसके बाद इनका पूरा परिवार मेरठ से नॉएडा चला गया। यहाँ मवि का स्कूल में admission करवाया गया। लेकिन स्कूल के प्रिंसिपल ने ऐसी सख्ती दिखाई की जब भी मैच खेलने बाहर जाना होता इन्हे छूटी ही नहीं मिलित थी।

आखिर में शिवम् के पिता ने कहा की देखिये लड़का आगे बड़ा तो स्कूल का नाम भी रोशन होगा। इसे मेरे कहने पर खेलने दिया करें। कभी कश्मीर तो कभी दिल्ली की पिच पर उसने खुद को तैयार किया। साल 2018 में जब under 19 world cup की टीम चुनी गयी तो उसमे न सिर्फ उसका नाम था बल्कि मैच के दौरान उसने ऐसा झंडा बुलंद किया की कलकत्ता नाईट राइडर्स ने इन्हे 3 करोड़ की भारी भरकम रकम देकर खरीद लिया।

लेकिन असल संघर्ष की शुरुआत यही से हुई है। IPL 2018 में पीठ में चोट लगने के कारण ऐसा फ्रैक्चर हुआ की जिसे ठीक होने में करीव 7 से 8 महीने का वक़्त लग गया। ठीक होने के बाद जब रणजी खेलने गए तो दोवारा बैक इंजरी हो गयी। फिर उन्हें इसके चलते ब्रेक लेना पड़ा। साल 2021 में जब विजय हज़ारे ट्रॉफी में उतरे तो वहां एड़ी में चोट लग गयी। फिर ब्रेक लेना पड़ गया। एक के बाद एक चोट से 24 साल के इस खिलाडी की हालत ऐसी हो गयी की उसकी आँखों के आगे अँधेरा छा गया था।

क्यूंकि शिवम् ने जिन खिलाडियों के साथ under 19 world cup खेला था उनमे से पृथ्वी शॉ, अर्शदीप सिंह और शुभमन गिल जैसे खिलाडी काफी पहले ही टीम में जगह बना चुके थे। लेकिन चोट की बजह से शिवम् बाहर थे। तेज़ तफ्तार और गेंद स्विम करवाने की इनकी कला इतनी लाज़बाब थी की बड़े बड़े सिलेक्टर भी इनके मुरीद थे।

लेकिन इनकी चोट ही पीछा नहीं छोड़ रही थी। शिवम् बताते हैं की दूसरी बार चोटिल होने के बाद मैं NCA गया था वहां राहुल सर भी थे। उन्होंने मुझे कहा की इंजरी आती जाती रहेगी। मैदान पर बापसी के लिए खेल पर फोकस पर जरुरी है। उसके बाद मैं दोबारा खेल में लग गया और जब गुजरात टाइटंस ने अभी एक हफ्ते पहले 6 करोड़ में ख़रीदा और फिर टीम इंडिया में जगह मिलने की खबर मिली तो मैं स्तब्ध रह गया। एक पल के लिए सबकुछ थम सा गया था।

लेकिन जब शिवम् मवि मैदान पर उतरे तो विरोधी खिलाडियों के बल्ले की रफ़्तार ही थम गयी। पहले श्रीलांकाई ओपनर पाथूम निसंका को बोल्ड किया जिसे देख कप्तान पंड्या गदगद हो उठे। उसके बाद धनजय डी सिल्वा को संजू सेमसन के हाथों कैच करवा कर आउट किया। इसके बाद फील्ड पर सेट होने की कोशिश करने वाले हंसरगा को पंड्या के हाथों कैच आउट करवा कर पवेलियन भेजा। उसके बाद तीक्षणा को सूर्य कुमार के हाथों कैच करवाकर आउट किया। अपने डेब्यू मैच में 4 विकेट लेने का रेकॉर्ड मवि ने बना लिया। ऐसे युवा खिलाडियों को लगातार मौके दिए जाना बहुत ही जरुरी है। ताकि टीम इंडिया इस नए साल में नयी बुलंदियों को छू सके।

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